Moral Story – मेहनत का फल
एक गांव में दो दोस्त रहते थे विपिन और आर्यन दोनों बेरोजगार थे उन्होंने अपने परिचित गुरुजी से अपनी परेशानी बताई और कहा गुरु जी हमें कुछ रुपए दीजिए जिससे हम कुछ काम धंधा शुरू कर सकें गुरुजी ने दोनों दोस्तों को ₹5000 दिए साथ ही यह कहा 6 महिने के अंदर तुम्हें इन रुपए को लौटाना होगा दोनों ने गुरुजी की बात मान ली फिर वे रुपए लेकर चल पड़े रास्ते में विपिन ने कहा हमें इन रुपयों से कोई अच्छा काम शुरू करना चाहिए पर आर्यन ने कहा नहीं अब हम कुछ दिन अच्छे स्थानों पर घूमने जाएंगे मौज करेंगे ।
6 महिने बीत जाने के बाद दोनों दोस्त गुरुजी के पास पहुंचे गुरुजी ने पहले आर्यन से पूछा तुमने रुपयों का क्या किया क्या लौटाने के लिए रकम लाए हो आर्यन ने मुंह लटका कर जवाब दिया गुरुजी किसी ने धोखा देकर वे रुपए ठग लिए फिर उन्होंने विपिन से पूछा तुम भी खाली हाथ आए हो क्या विपिन ने मुस्कुराकर जवाब दिया नहीं गुरु जी यह लीजिए आपके ₹5000 और अतिरिक्त ₹2000 गुरुजी ने पूछा तुम इतने रुपए कैसे कमाए क्या तुमने किसी को धोखा दिया है जी नहीं विपिन बोला मैंने तो अपनी सूझबूझ और मेहनत से यह रुपए कमाए हैं एक किसान को परेशान देखकर मैंने उसके सारे फल खरीद लिए फिर उन्हें शहर में जाकर बेच दिए इसके बाद वह प्रतिदिन मुझे फल ला कर देता और मैं उन्हें बेच देता कुछ दिनों के बाद मैंने शहर में दुकान ले ली और फलों का व्यापार शुरू किया इतना कह कर उसने गुरुजी को मदद करने के लिए धन्यवाद दिया और अतिरिक्त रुपए किसी जरूरतमंद को देने के लिए रखने का आग्रह किया गुरुजी विपिन से बहुत खुश हुए उन्होंने आर्यन से कहा अगर तुम भी समझदारी और मेहनत से काम करते तो सफल हो जाते विपिन ने कहा अभी कुछ बिगड़ा नहीं है समय का सम्मान करो और श्रम का महत्व समझो सफलता तुम्हारे कदम चूमेगी|
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